Posts

Showing posts from 2019

MASAIMARA-Kenya-my African safari tour

Image
मसाईमारा-अम्बोसिली, केन्या,अफ्रीका ईश्वर की बनायीं हुई सृष्टि में क्या सिर्फ मनुष्यों का ही अधिकार है या अन्य प्राणी भी यहाँ अपनी इच्छानुसार रहने में सक्षम है? क्या हम प्राणियों को सिर्फ मनुष्य निर्मित Zoo में ही देख सकते है ? या उनका अपना भी कोई संसार है जिसमे वो मुक्त विचरण करते है ? सभी प्राणी अपने प्राकृतिक जगत में किस तरह विचरण करते है यह जानने की उत्सुकता ने जंगल की ओर प्रस्थान की प्रेरणा दी .भारतीय वन क्षेत्रो  (जिम कॉर्बेट या गिर राष्ट्रीय या बांधवगढ़ ) में घूमना बहुत अधिक बंधनकारी है एवं आपको वन्य प्राणियों से आमना सामना भी बहुत कम ही होता है .ये क्षेत्र चारो ओर से मनुष्यों के रहवास से भी घिरे हुए है ,अतः पूर्ण प्राणी जगत देखने से हम वंचित रह जाते है। हटारी, अफ्रीकन सफारी , बोर्न फ्री,या सेवेज हार्वेस्ट जैसी उत्कृष्ट हॉलीवुड फिल्मे देख कर एक उत्सुकता जागी थी कि क्या सच में अफ्रीका में इतने अधिक प्राणी है की मनुष्य उनके साथ रहने में असहज महसूस करे । सोचा चल कर देखा जाए...अब कहा जाया जाए ? सवाना...कालाहारी...सेरेंगेटी या मसाईमारा ?? पता चला सर्वश्रेष्ठ केन्या ही है जहा Bi

UNSEEN KASHMIR-PATNITOP & NATHATOP

Image
अनदेखा कश्मीर- पटनीटॉप/नाथाटॉप अक्सर कश्मीर सुनते ही हमें श्रीनगर गुलमर्ग पहलगांव की याद आती है। कोई शक नही की ये सारी जगह बेहद खुबसूरत है लेकिन कश्मीर सिर्फ ये चार छ जगहों का ही नाम नही है। यहाँ प्रकृति ने कदम कदम पर खूबसूरती बिखेर रखी है ।सामान्य जन अक्सर इन्हें अनदेखा कर देते है,इन्ही अनदेखी या कम देखी जगहों में एक है पटनीटॉप… सर्दियों में यूथ हॉस्टल एसोसिएशन का सानासर कैंप यही से आयोजित होता है अतः यही जाने का प्रोग्राम बनाया(14 फर.) और एक एक कर दस लोगो का समूह तैयार हो गया.। मालवा एक्स.से रिजर्वेशन करा के अगले दिन रात 10 बजे उधमपुर स्टेशन (जो की सिर्फ 45 किमी की दुरी पर है) उतरे।रात वही एक होटल में बिताई । दूसरा दिन (16 फर.) सुबह नाश्ते के बाद एक वैन बुक की (1800/-) और 8 बजे निकल पड़े। जम्मू श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग को फोर लेन बनाने का काम जोरो पर था तो वैन की गति धीमी हो रही थी। लगभग 20 किमी पश्चात बनिहाल टनल आती है जो श्रीनगर के लिए जाती है।किन्तु हमें पुराने मार्ग से ही जाना था और जैसे जैसे ऊपर की ओर बढ़ने लगे ठंडक भी बढ़ने लगी थी। रास्ता देवदार के वृक्षों से ढ