CAMPING AT GOLDEN CITY-JAISALMER

 मेरी जैसलमेर यात्रा , यूथ हॉस्टल एसोसिएशन फॅमिली कैम्पिंग

कई वर्षो से जैसलमेर के स्वर्णिम रेत के टीलो की खूबसूरती की बाते पढ़ और सुन रहा था,लेकिन कभी मौका नही मिल पाया,अचानक एक दिन पाया की यूथ हॉस्टल एसोसिएशन द्वारा प्रतिवर्ष दिवाली के बाद फॅमिली कैम्पिंग का आयोजन किया जाता है,तुरंत ही एक कैंप बुक किया जिसमे पति पत्नी के अलावा 12 से कम के 2 बच्चो का 5 दिन का खर्च मात्र 5000/-में जिसमे रहना खाना सब शामिल था,मुह में पानी आ जाये ऐसा ऑफर देख कर,खैर बुक करा के हम पति पत्नी दोनों भोपाल से अजमेर पहुचे सुबह |

jaisalmer fort

अजमेर
नित्य कामो से निवृत हो अजमेर की प्रसिद्ध्ह दरगाह पहुचे और 4 घंटे के हाल्ट का लाभ ले के थोडा अजमेर की कचोरियो का स्वाद ले के हम पुन: स्टेशन पहुचे जहा 2 बजे जैसलमेर की ट्रेन पकडनी थी,नियत समय ट्रेन में बैठे और रात 11 बजे जैसलमेर पहुचे

जैसलमेर पहला दिन
रात 11 बजे कैंप इंचार्ज को जगा के अपने लिए एक टेंट अलोट करवाया,पत्नी का पहला मौका था टेंट में रहने का कुछ शंकाए थी मन में पर देखते ही प्रसन्न हो गयी तो मन का बोझ हल्का हो गया,लाइट की सुविधा भी थी.

our home for 5 days

जैसलमेर दूसरा दिन
अगले दिन रेतीले कैंप साईट पर सुबह की चमकीली धुप के बीच गरमा गरम नाश्ते के साथ कुछ नए परिवारों से परिचय हुआ एवं कैंप समाप्ति तक परिचय घनिष्टता में बदल गया,नाश्ता करके शाम 3 बजे तक के लिए गोल्डन सिटी जैसलमेर की खूबसूरती वहा का मशहूर किला, हवेलिया पटवो एवं नाथमल की आदि दर्शनीय स्थल देखके दोपहर 2 बजे लंच के लिए कैंप पहुचे वहा राजस्थान की मशहूर दाल बाटी खाने के बाद थोडा आराम किया.

पटवो की हवेली

3 बजे sam sand dunes देखने की व्यवस्था कैंप ने सशुल्क की थी , dunes देखने का पहला ही मौका था सच में दूर दूर तक फैला हुआ रेत का विशाल महासागर देख के मन एकदम खाली हो गया,अचंभित रह गया,वहा कैमल कार्ट और जिप्सी की रोमांचक सवारी की और वापस आने का मन नही था फिर भी आना ही था,पत्नी नए परिचितों के साथ घुल मिल जाने से एक निश्चिंतता और आनंद का वातावरण निर्मित हो चूका था,रात्रि को यूथ हॉस्टल की परंपरानुसार कैंप फायर का आयोजन हुआ जिसमे अपने अनुभव एवं गीत आदि की प्रस्तुति के बाद 10 बजे लाइट ऑफ.

jeep safari

जैसलमेर तीसरा दिन
अगले दिन हमे दिन भर के लिए बॉर्डर क्षेत्र के लिए जाना था जिसके लिए आवश्यक परमिशन एवं बसों की व्यवस्था उत्तम रूप में कर रखी थी जिसके लिए हम कैंप डायरेक्टर श्री घनश्याम खत्री जी के अत्यंत आभारी थे |

प्रथम हम लोग रामगढ के रास्ते तनोट सीमा तक गये,रास्ते में एशिया के सबसे ऊँचे टीवी टावर को देखा,तनोट में प्रसिद्द मंदिर है जिसके बारे में मशहूर है की 71 के युद्ध में इस पे बहुत बमों की वर्षा सी हुई किन्तु मंदिर परिसर में वो फट नही पाए ,वो आज भी परिसर में रखे हुए है

biggest tv tower of asia at ramgarh

तनोट के 110 किमी के मार्ग पूरी तरह रेगिस्तान के मध्य से गुजरता है तब थार का असली सौदर्य दिखाई देता है,दूर दूर तक फैला रेत का समंदर,कमाल का दर्शनीय दृश्य पेश करता है,अब समझ आया की क्यों ये विदेशियों की प्रिय जगह है…एक ही शब्द सूझता है वंडरफुल…

a view of thar desert

तनोट से 52 किमी दूर लोंगेवाला जाने का सौभाग्य मिला जिसका सर्वश्रेष्ठ फिल्मांकन “बॉर्डर” सिनेमा में देखा था |

ये वही जगह है जहा मात्र 120 सैनिको के पाकिस्तान के 2000 की फ़ौज और 100 से अधिक टैंक को सारी रात रोका और फ़ौज को जैसलमेर तक पहुचने से रोका था,यहाँ उन वीरो का स्मारक भी बना है और जब्त किये पाक टैंक भी…देशभक्ति से दिल भर गया यहाँ आकर…उन वीरो को श्रद्धांजलि अर्पित कर वही साथ मिले लंच पैकेट से लंच कर हम लोग वापस कैंप में लौट आये.
शाम की चाय व् नाश्ता तैयार था.

shahid smarak at Longewala

जैसलमेर चौथा दिन
इस दिन आसपास की जगह देखने का कार्यक्रम था जिसमे मुख्य रूप से कुलधारा नाम की जगह शामिल थी,इसे घोस्ट टाउन भी कहा जाता है,पालीवाल समाज के ब्राह्मणों के 84 गाव के लोग रातोरात सारे गाव खाली कर गये थे और अब सारे घर टूट फुट चुके है…देख कर भयानक सन्नाटे में सच में लगता है भूतिया क्षेत्र में आ गये

वापसी रास्ते में एक झील के किनारे सबने अपने पैक लंच का आनंद लिया और अन्य गाव का भ्रमण किया जहा सरकार ने पालीवालो के गाव के कुछ मकानों को संरक्षित किया हुआ है ताकि उनकी रहने की शैली का सबको पता चले,सुन्दर व्यवस्थित जगह सबके मन को भा गयी.

Lunch time at a lake

सायं 4 बजे वापस कैंप. चाय नाश्ता डिनर कैंप फायर के बाद नींद.

जैसलमेर पांचवा व् अंतिम दिन
आज का दिन फ्री था..लोग व्यक्तिगत रूप से घुमने या खरीदारी के लिए निकल गये ,लंच के बाद सभी एक एक कर अपने टेंट खाली करने लगे,एक उदास वातावरण निर्मित हो गया बिछड़ने का..4 दिन में सभी में मित्रता हो गयी थी…महाराष्ट्र गुजरात यूपी कर्नाटक आदि देशभर के लोगो से अच्छी मित्रता हो गयी थी,भविष्य में भी मिलते रहने का वादा करके सब बिदा हुए

हमने भी जोधपुर के लिए शाम की ट्रेन ली…
अलविदा जैसलमेर.
संजीव जोशी

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