बलात्कार क्यों होते है ...इस बात पे हमेशा ही
बहस होती है ...जब भी ऐसा कोई मुद्दा उठता है ...यु लगता है सारा देश एक
सूत्र में बंधा है ...सारे अखबार ...न्यूज चेनल्स ...इस मुद्दे को हवा देते
नज़र आते है ...कुछ दिनों बाद ...सन्नाटा ...किसी नयी न्यूज़ से इंतज़ार में
...नए मुद्दे की तलाश में ...
बलात्कारी हमेशा इस बात को ध्यान में रखते है की ..पीड़ित लड़की या महिला स्वयं की बदनामी के डर से कही भी शिकायत नहीं करेगी ...घर वाले हर संभव प्रयास करेंगे की बात छुपायी जाये ...मोहल्ले में भी किसी को कानो कान खबर न हो पाए ...क्यों ? कही लड़की बदनाम न हो जाये ...फिर कौन उसके साथ शादी करेगा ? परिवार की बदनामी होगी ....आदि तमाम बाते उठती है ...यही पर मुद्दा उठता है की आखिर लड़की बदनाम क्यों होगी ? जब वह निर्दोष है ...निरपराध है ...तो वो या उसका परिवार बदनाम क्यों होगा ...?? तब समाज की भूमिका सामने आती है ...हमारा दकियानूसी समाज ...क्यों जघन्य अपराध से पीड़ित बच्ची को सम्मान की दृष्टि से नहीं देखता ? क्यों उस मासूम को बदनाम होने देता है ?
यही सवाल उठता है की ...नारेबाजी करने से ...या मोमबत्ती जुलूस निकलने से समस्या का समाधान हो जायेगा ...? क्या समाज उस लड़की को इज्ज़त की निगाहों से देखेगा ...उसका सम्मान करेगा ? आज ...अभी तक भी ...5 दिनों बाद भी दिल्ली की घटना से पीड़ित उस मासूम और निरपराध लड़की का नाम किसी भी अखबार में या चैनल में दिखाई नहीं पड़ा ...क्यों ? इसी बदनामी के डर से ?...जब सारा देश उसके साथ खड़ा है ...तब क्यों उसकी पहचान छुपाने की नौबत आई है ...अभी तक किसी एक भी लड़के या व्यक्ति ने हिम्मत नहीं दिखाई है कि वो उस लड़की को स्वीकार करेगा और जीवन में उसको सम्मान देगा ? क्यों ? सब बात करते है की उसका जीवन बर्बाद हो गया ...क्योकि सभी जानते है की अब उस निरपराध लड़की को जीवन में कोई साथी नहीं मिलेगा ...
आज ...जरूरत है ...समाज के इसी सोच को बदलने की ...जब समाज की सोच बदलेगी ..तभी लड़की या उसके घरवाले खुलकर अपराधी की शिकायत कर पाएंगे ...जब लड़की आश्वस्त होगी की उसके भविष्य को कोई खतरा नहीं है तो वो भी बलात्कारियो को सजा दिलवाएगी ...बिना किसी डर के ...समाज की सोच कैसे बदले ?? ये कोई एक दिन में हो जाने वाली बात नहीं है ...सरकार के साथ साथ समाजशास्त्रियो को कठिन परिश्रम करना पड़ेगा ...ये स्थापित करना होगा कि बलात्कार से किसी भी स्त्री की आबरू या इज्ज़त ख़राब नहीं होती ...महिलाओ को इसमें ख़ास भागीदारी निभानी होगी ...विवाह योग्य लडको को हिम्मत दिलानी होगी ..ख़ास कर घर की स्त्रीयों द्वारा ...सरकार ऐसे व्यक्ति के लिए विशेष सुविधाए घोषित कर सकती है ....समाज उसको सम्मानित कर सकता है ...बहुत सारे अन्य उपाय खोजे जा सकते है ....
जब समाज और उसकी सोच बदलेगी तभी समस्या का समाधान होगा ...उपाय जड़ो में खोज जाना चाहिए ...न की ऊपर ऊपर पत्तो को साफ़ करके ....
इस विषय पर राष्ट्रव्यापी बहस होना चाहिए .
संजीव जोशी
कल्पना नगर भोपाल
बलात्कारी हमेशा इस बात को ध्यान में रखते है की ..पीड़ित लड़की या महिला स्वयं की बदनामी के डर से कही भी शिकायत नहीं करेगी ...घर वाले हर संभव प्रयास करेंगे की बात छुपायी जाये ...मोहल्ले में भी किसी को कानो कान खबर न हो पाए ...क्यों ? कही लड़की बदनाम न हो जाये ...फिर कौन उसके साथ शादी करेगा ? परिवार की बदनामी होगी ....आदि तमाम बाते उठती है ...यही पर मुद्दा उठता है की आखिर लड़की बदनाम क्यों होगी ? जब वह निर्दोष है ...निरपराध है ...तो वो या उसका परिवार बदनाम क्यों होगा ...?? तब समाज की भूमिका सामने आती है ...हमारा दकियानूसी समाज ...क्यों जघन्य अपराध से पीड़ित बच्ची को सम्मान की दृष्टि से नहीं देखता ? क्यों उस मासूम को बदनाम होने देता है ?
यही सवाल उठता है की ...नारेबाजी करने से ...या मोमबत्ती जुलूस निकलने से समस्या का समाधान हो जायेगा ...? क्या समाज उस लड़की को इज्ज़त की निगाहों से देखेगा ...उसका सम्मान करेगा ? आज ...अभी तक भी ...5 दिनों बाद भी दिल्ली की घटना से पीड़ित उस मासूम और निरपराध लड़की का नाम किसी भी अखबार में या चैनल में दिखाई नहीं पड़ा ...क्यों ? इसी बदनामी के डर से ?...जब सारा देश उसके साथ खड़ा है ...तब क्यों उसकी पहचान छुपाने की नौबत आई है ...अभी तक किसी एक भी लड़के या व्यक्ति ने हिम्मत नहीं दिखाई है कि वो उस लड़की को स्वीकार करेगा और जीवन में उसको सम्मान देगा ? क्यों ? सब बात करते है की उसका जीवन बर्बाद हो गया ...क्योकि सभी जानते है की अब उस निरपराध लड़की को जीवन में कोई साथी नहीं मिलेगा ...
आज ...जरूरत है ...समाज के इसी सोच को बदलने की ...जब समाज की सोच बदलेगी ..तभी लड़की या उसके घरवाले खुलकर अपराधी की शिकायत कर पाएंगे ...जब लड़की आश्वस्त होगी की उसके भविष्य को कोई खतरा नहीं है तो वो भी बलात्कारियो को सजा दिलवाएगी ...बिना किसी डर के ...समाज की सोच कैसे बदले ?? ये कोई एक दिन में हो जाने वाली बात नहीं है ...सरकार के साथ साथ समाजशास्त्रियो को कठिन परिश्रम करना पड़ेगा ...ये स्थापित करना होगा कि बलात्कार से किसी भी स्त्री की आबरू या इज्ज़त ख़राब नहीं होती ...महिलाओ को इसमें ख़ास भागीदारी निभानी होगी ...विवाह योग्य लडको को हिम्मत दिलानी होगी ..ख़ास कर घर की स्त्रीयों द्वारा ...सरकार ऐसे व्यक्ति के लिए विशेष सुविधाए घोषित कर सकती है ....समाज उसको सम्मानित कर सकता है ...बहुत सारे अन्य उपाय खोजे जा सकते है ....
जब समाज और उसकी सोच बदलेगी तभी समस्या का समाधान होगा ...उपाय जड़ो में खोज जाना चाहिए ...न की ऊपर ऊपर पत्तो को साफ़ करके ....
इस विषय पर राष्ट्रव्यापी बहस होना चाहिए .
संजीव जोशी
कल्पना नगर भोपाल
Comments
Post a Comment