YHAI-Marine Life Trekking Expedition
मरीन ट्रेक ओखा गुजरात
ये ग्रुप टूर अचानक ही तय हो गया। यूथ हॉस्टल एसोसिएशन हर वर्ष मरीन लाइफ एक्सप्लोरेशन ट्रेक आयोजित करता है जो कोविड के चलते दो साल बंद था।
तभी एक दिन देखा की जामनगर की जगह ओखा में आयोजन है,मैंने अपने भाई मनोज को सूचित किया
और हम दोनों ने बुकिंग करनेकी सोची ही थी कि लगा इसमें लंबे लंबे ट्रेक रूट नहीं है और एक ही दिन दस किमी का ट्रेक है,तो क्यों न पत्नियों को साथ ले लिया जाये, तो अब दो की जगह चार का ग्रुप तैयार था,
फिर ट्रेन रिजर्वेशन देखा तो पता चला जिस दिन हमे रिपोर्ट करना था उस दिन ट्रेन उपलब्ध नहीं थी,तो सोचा कार से चलने का,और इसतरह ये ट्रेक एक रोड ट्रिप में परिवर्तित हो गया.
भोपाल से ओखा आना जाना लगभग दो हज़ार किमी है, जैसे ही अन्य मित्रों को पता लगा उन्होंने भी हमारे साथ चलने की इच्छा ज़ाहिर की, और इस तरह अब तीन गाड़ियो में बारह लोगो का ग्रुप तैयार था,
अधिक बड़ा ग्रुप हो तो सब की इच्छा का मान रखना होता है जो की बिलकुल भी आसान नहीं होता.
तभी एक दिन देखा की जामनगर की जगह ओखा में आयोजन है,मैंने अपने भाई मनोज को सूचित किया
और हम दोनों ने बुकिंग करनेकी सोची ही थी कि लगा इसमें लंबे लंबे ट्रेक रूट नहीं है और एक ही दिन दस किमी का ट्रेक है,तो क्यों न पत्नियों को साथ ले लिया जाये, तो अब दो की जगह चार का ग्रुप तैयार था,
फिर ट्रेन रिजर्वेशन देखा तो पता चला जिस दिन हमे रिपोर्ट करना था उस दिन ट्रेन उपलब्ध नहीं थी,तो सोचा कार से चलने का,और इसतरह ये ट्रेक एक रोड ट्रिप में परिवर्तित हो गया.
भोपाल से ओखा आना जाना लगभग दो हज़ार किमी है, जैसे ही अन्य मित्रों को पता लगा उन्होंने भी हमारे साथ चलने की इच्छा ज़ाहिर की, और इस तरह अब तीन गाड़ियो में बारह लोगो का ग्रुप तैयार था,
अधिक बड़ा ग्रुप हो तो सब की इच्छा का मान रखना होता है जो की बिलकुल भी आसान नहीं होता.
फिर तय हुआ की अधिकांश सदस्य पहली बार गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र जा रहे है और वहाँ अन्य बहुत सी
जगह है घूमने के लिये।
इस तरह चार दिन का ट्रेक बारह दिन की रोड ट्रिप में परिवर्तित हो चुका था।
21 दिसंबर 2022
दोपहर बारह बजे तीन गाड़ियो में सवार हम बारह लोग भोपाल से चल पड़े,पहला पड़ाव इंदौर होते हुए धार में शाम सात बजे पहुँचे और हाईवे के किनारे बने होटल में रात्रि विश्राम किया गया,छः महिलाओं के लिए एक ही रूम था जबकि पुरुषों को दो रूम मिले जिसमे छः की व्यवस्था हो सकी,ऐसे रहने का अनुभव किसी को भी नहीं था किंतु एक रात की बात थी तो सब तैयार थे।लंबी यात्राओं में तरह तरहके अनुभव ही जीवन की पूँजी की तरह होते है और उन्हें खुले मन से स्वीकार करना ही यात्रा का आनंद को बढ़ाता है।
22 दिसंबर 2022
आज काफ़ी लंबा सफ़र तय कर के राजकोट पहुँचने की योजना थी,जो की लगभग साड़े पाँच सौ किमी था,अतः सुबह छः बजे सब नहाके तैयार हो के चल पड़े,नाश्ता कही रुक के किया और इंदौर अहमदाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग से होते हुए शाम चार बजे राजकोट पहुँचे किंतु बाईपास पर ऐसा कोई अच्छा होटल उपलब्ध नहीं था जिसमे हमे छः कमरे मिल सके,पिछली रात सभी ने एडजस्ट कर लिया था किंतु हर बार हर रात ये संभव नही था,फिर दिन भर यात्रा की थकावट अलग थी।चलते रहे और आगे ध्रोल नामक एक छोटी सी जगह में हमे श्री जी गेस्ट हाउस में मात्र पाँच हज़ार रू में छह रूम मिल गये।
रात का डिनर कर के सब नींद के हवाले हो गये।
रात का डिनर कर के सब नींद के हवाले हो गये।
23 दिसंबर 2022
आज ओखा पहुँच के भेंट द्वारका में कैम्प में रिपोर्टिंग करना थी तो सुबह नित्य कर्म से निवृत्त हो कर जामनगर के रास्ते चल पड़े,
रास्ते में रिलायंस का विशाल रिफाइनरी प्लांट था,बेहद सुंदर हाईवे से होते हुए गुजरात के छोटे गाँव पार कर रहे थे,
स्वच्छ भारत अभियान से पूर्णतः अछूता गंदगी कूड़ा करकट से भरा गुजरात देख के आश्चर्य मिश्रित दुःख हुआ कि जिस व्यक्ति ने अभियान चलाया उसी के राज्य में उस अभियान की अवहेलना देख के क्षोभ हो रहा था।
ख़ैर जैसे तैसे ओखा पहुँचे ,जगह जगह सड़के खुदी हुई,गड्ढे और कूड़ा से भरा गाँव जहां देश भर से लाखों श्रद्धालु पहुँचते हो वहाँ अव्यवस्था और अस्त व्यस्तता का माहौल था,
यहाँ से हमे भेंट द्वारका बोट से जाना था,कोई लाइन नहीं ,हज़ारो की भीड़ धक्का मुक्की देख सोच में पड़ गये की बीस बैग्स के साथ हम बोट में कैसे बैठ पायेंगे?
तभी एक ठेले वाले ने सारा सामान लाद कर जेट्टी तक पहुँचाने की व्यवस्था की,और एक बोट वाले ने प्रति व्यक्ति एक सौ रू ले केपहुँचाने की ज़िम्मेदारी ली,राहत की साँस लेते हुए हम सब सामान लाद के बोट पर सवार हुए,
इसके बाद लगभग बीस पच्चीस मिनट का समुद्री सफ़र बेहद आकर्षक था,साफ़ हरा नीला पानी देख के मन प्रसन्न हो गया था,
भेट द्वारिका पहुँचे और फिर ठेले पे सामान लाद के रिक्शा स्टैंड से दो बड़े रिक्शा ले के लगभग चार किमी दूर कैम्प साईट पहुँच के रिपोर्ट किया,
रास्ते में रिलायंस का विशाल रिफाइनरी प्लांट था,बेहद सुंदर हाईवे से होते हुए गुजरात के छोटे गाँव पार कर रहे थे,
स्वच्छ भारत अभियान से पूर्णतः अछूता गंदगी कूड़ा करकट से भरा गुजरात देख के आश्चर्य मिश्रित दुःख हुआ कि जिस व्यक्ति ने अभियान चलाया उसी के राज्य में उस अभियान की अवहेलना देख के क्षोभ हो रहा था।
ख़ैर जैसे तैसे ओखा पहुँचे ,जगह जगह सड़के खुदी हुई,गड्ढे और कूड़ा से भरा गाँव जहां देश भर से लाखों श्रद्धालु पहुँचते हो वहाँ अव्यवस्था और अस्त व्यस्तता का माहौल था,
यहाँ से हमे भेंट द्वारका बोट से जाना था,कोई लाइन नहीं ,हज़ारो की भीड़ धक्का मुक्की देख सोच में पड़ गये की बीस बैग्स के साथ हम बोट में कैसे बैठ पायेंगे?
तभी एक ठेले वाले ने सारा सामान लाद कर जेट्टी तक पहुँचाने की व्यवस्था की,और एक बोट वाले ने प्रति व्यक्ति एक सौ रू ले केपहुँचाने की ज़िम्मेदारी ली,राहत की साँस लेते हुए हम सब सामान लाद के बोट पर सवार हुए,
इसके बाद लगभग बीस पच्चीस मिनट का समुद्री सफ़र बेहद आकर्षक था,साफ़ हरा नीला पानी देख के मन प्रसन्न हो गया था,
भेट द्वारिका पहुँचे और फिर ठेले पे सामान लाद के रिक्शा स्टैंड से दो बड़े रिक्शा ले के लगभग चार किमी दूर कैम्प साईट पहुँच के रिपोर्ट किया,
पिछले दो दिन की यात्रा की थकान कैम्प साईट देखते ही दूर हो गई ,बेहद खूबसूरत समुद्र के किनारे हमारे छोटे छोटे टेंट लगे हुए थे,एक टेंट में दो व्यक्ति के रहने की व्यवस्था थी,छोटे से टेंट जिसमें खड़े होना भी संभव नहीं था,देख के हमारे साथी चिंतित थे,किंतु मैं प्रसन्न था,ऐसे टेंट में रहने का मेरा प्रथम अनुभव होने वाला था और मैं उत्सुक था,मनोज के साथ मैंने टेंट शेयर किया,किंतु अन्य चार ने कैम्प लीडर से अनुनय कर एक बड़ा सा टेंट ले लिया था जिसमे आसानी से खड़े होने का सुख था,और आठ लोगो की जगह में ये चार ही रहनेवाले थे,साथ की छःमहिलाओं को तीन छोटे टेंट मिल गये थे।
बेहद ठंडी हवा चल रही थी और लहरें उफान पर थी,रेत पर पैर धँस धँस जा रहे थे,
गाँव से बाहर होने के कारण इसे सर्व सुविधा युक्त नही कहा जा सकता था किंतु फिर भी हिमालयन ट्रेक से तुलना करे तो इसे बेहद सुविधापूर्ण माना जा सकता था,
हमारे अन्य साथियों को इसका कोई अनुभव नही था अतः वे लोग व्यवस्था से संतुष्ट नहीं थे और आगे के तीन चार दिन भी उन्हें कोई राहत मिलने वाली नहीं थी किंतु मैं और मनोज ऐसे माहौल के आदी थे तो कोई समस्या नहीं थी।
कमोबेश हमारी पत्नियों को परेशानी हो भी रही हो तो उन्होंने जाहिरा तौर से कुछ नहीं कहा।
धीरे धीरे अन्य शहरों से भागीदारी करने लोग पहुँचाने लगे थे और शाम तक लगभग सभी लोग रिपोर्ट कर चुके थे,अब कैम्प साईट में काफ़ी चहल पहल हो गई थी,
रात्रि भोजन पश्चात् हॉस्टल की परंपरानुसार कैम्प फायर का आयोजन हुआ जिसमे लोगो ने गीत संगीत,और अपने अनुभव साझा किए और दस बजे सब अपने अपने टेंट में चले गये,बेहद ठंड थी किंतु टेंट के अंदर हम आरामदायक स्थिति में सो रहे थे।
बेहद ठंडी हवा चल रही थी और लहरें उफान पर थी,रेत पर पैर धँस धँस जा रहे थे,
गाँव से बाहर होने के कारण इसे सर्व सुविधा युक्त नही कहा जा सकता था किंतु फिर भी हिमालयन ट्रेक से तुलना करे तो इसे बेहद सुविधापूर्ण माना जा सकता था,
हमारे अन्य साथियों को इसका कोई अनुभव नही था अतः वे लोग व्यवस्था से संतुष्ट नहीं थे और आगे के तीन चार दिन भी उन्हें कोई राहत मिलने वाली नहीं थी किंतु मैं और मनोज ऐसे माहौल के आदी थे तो कोई समस्या नहीं थी।
कमोबेश हमारी पत्नियों को परेशानी हो भी रही हो तो उन्होंने जाहिरा तौर से कुछ नहीं कहा।
धीरे धीरे अन्य शहरों से भागीदारी करने लोग पहुँचाने लगे थे और शाम तक लगभग सभी लोग रिपोर्ट कर चुके थे,अब कैम्प साईट में काफ़ी चहल पहल हो गई थी,
रात्रि भोजन पश्चात् हॉस्टल की परंपरानुसार कैम्प फायर का आयोजन हुआ जिसमे लोगो ने गीत संगीत,और अपने अनुभव साझा किए और दस बजे सब अपने अपने टेंट में चले गये,बेहद ठंड थी किंतु टेंट के अंदर हम आरामदायक स्थिति में सो रहे थे।
24 दिसंबर 2022
आज ऑर्गनाइज़र की तरफ़ से भेंट द्वारिका मंदिर भ्रमण का कार्यक्रम था तो सुबह नाश्ते के बाद छः सात
रिक्शे में सवार होके सभी चालीस लोग दर्शन हेतु चल पड़े. जैसा की सभी धार्मिक स्थलों का माहौल होता है यहाँ भी भीड़ भाड़ थी.
धारणा है कि ये भगवान श्रीकृष्ण का निवास स्थान था और मुख्य द्वारिका उनकी राजधानी थी।
दर्शन में जैसा की स्वाभाविक था तीन से चार घंटे लग गये तत्पश्चात् आसपास की जगह देख के सब लोग
कैम्प में वापस आ गये जहां लंच तैयार था,स्वादिष्ट पौष्टिक भोजन यूथ हॉस्टल की विशेषता है और ये भी
अपवाद नहीं था.
शाम को मरीन लाइफ एक्सप्लोर करने जाना था ,लो टाइड के कारण समुद्र का पानी अंदर तक चला जाता है और चट्टानें बाहर निकल आती है तो उन्हीं में तरह के समुद्री प्राणी फँस जाते है
ये जगह कैम्प से पाँच छः किमी दूर थी और पैदल ही जाना था तो सब लोग अलग अलग समय पे लंच के बाद निकल पड़े,समुद्र किनारे रेत में चलना वैसे भी आसान नहीं होता उस पर लहरों से बच बच के चलना थोड़ा कठिन होता है पर सभी उत्सुक थे तो थकान का अनुभव नही हो रहा था,
जैसे जैसे शाम हो रही थी पानी कम होता जा रहा था और तब हम लोगो ने विभिन्न समुद्री प्राणियों को ढूंड
ढूंड के देखना शुरू किया.
स्टारफिश,ऑक्टोपस,घोंघे,विभिन्न मछलीया,स्लग,सी एनीमोन, जीवित कोरल,सब से छोटी शार्क की एक
प्रजाति आदि देखते देखते कब अंधेरा हो गया पता नहीं चला।
यही सब देखने इतनी दूर का सफ़र तय किया था,ऐसा हर जगह देखने को नहीं मिलता,और यही इस जगह की विशेषता भी है,कच्छ की खाड़ी में जामनगर से भेंटद्वारिका तक ऐसे स्थान जगह जगह भरे पड़े है और
इस पूरे क्षेत्र को मरीन राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा मिला हुआ है।
रिक्शे में सवार होके सभी चालीस लोग दर्शन हेतु चल पड़े. जैसा की सभी धार्मिक स्थलों का माहौल होता है यहाँ भी भीड़ भाड़ थी.
धारणा है कि ये भगवान श्रीकृष्ण का निवास स्थान था और मुख्य द्वारिका उनकी राजधानी थी।
दर्शन में जैसा की स्वाभाविक था तीन से चार घंटे लग गये तत्पश्चात् आसपास की जगह देख के सब लोग
कैम्प में वापस आ गये जहां लंच तैयार था,स्वादिष्ट पौष्टिक भोजन यूथ हॉस्टल की विशेषता है और ये भी
अपवाद नहीं था.
शाम को मरीन लाइफ एक्सप्लोर करने जाना था ,लो टाइड के कारण समुद्र का पानी अंदर तक चला जाता है और चट्टानें बाहर निकल आती है तो उन्हीं में तरह के समुद्री प्राणी फँस जाते है
ये जगह कैम्प से पाँच छः किमी दूर थी और पैदल ही जाना था तो सब लोग अलग अलग समय पे लंच के बाद निकल पड़े,समुद्र किनारे रेत में चलना वैसे भी आसान नहीं होता उस पर लहरों से बच बच के चलना थोड़ा कठिन होता है पर सभी उत्सुक थे तो थकान का अनुभव नही हो रहा था,
जैसे जैसे शाम हो रही थी पानी कम होता जा रहा था और तब हम लोगो ने विभिन्न समुद्री प्राणियों को ढूंड
ढूंड के देखना शुरू किया.
स्टारफिश,ऑक्टोपस,घोंघे,विभिन्न मछलीया,स्लग,सी एनीमोन, जीवित कोरल,सब से छोटी शार्क की एक
प्रजाति आदि देखते देखते कब अंधेरा हो गया पता नहीं चला।
यही सब देखने इतनी दूर का सफ़र तय किया था,ऐसा हर जगह देखने को नहीं मिलता,और यही इस जगह की विशेषता भी है,कच्छ की खाड़ी में जामनगर से भेंटद्वारिका तक ऐसे स्थान जगह जगह भरे पड़े है और
इस पूरे क्षेत्र को मरीन राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा मिला हुआ है।
लौटते समय समुद्र का पानी बढ़ने लगा था और अब लहरें पैरो को भिगो रही थी,
कैम्प साईट लौट के कुछ आराम के बाद डिनर करना था तभी लाइट चली गई और चारों ओर घुप्प अंधेरा ,जनरेटर की व्यवस्था तो थी किंतु उसमें कोई ख़राबी आ गई थी।
जैसे तैसे अंधेरे में टॉर्च की रोशनी और मोमबत्ती के सहारे भोजन किया ,अंधेरे में कैम्प फायर का तो प्रश्न ही नहीं था फिर दस किमी पैदल ट्रेक कर के सभी थक गये थे तो सोने के लिये टेंट में जाना ही बेहतर विकल्प था।इस तरह कैम्प का दूसरा दिन ख़त्म हुआ।
कैम्प साईट लौट के कुछ आराम के बाद डिनर करना था तभी लाइट चली गई और चारों ओर घुप्प अंधेरा ,जनरेटर की व्यवस्था तो थी किंतु उसमें कोई ख़राबी आ गई थी।
जैसे तैसे अंधेरे में टॉर्च की रोशनी और मोमबत्ती के सहारे भोजन किया ,अंधेरे में कैम्प फायर का तो प्रश्न ही नहीं था फिर दस किमी पैदल ट्रेक कर के सभी थक गये थे तो सोने के लिये टेंट में जाना ही बेहतर विकल्प था।इस तरह कैम्प का दूसरा दिन ख़त्म हुआ।
25 दिसंबर 2022
तीसरा दिन ट्रेक से संबंधित नहीं था वरन् इसे धार्मिक यात्रा कहे तो ठीक रहेगा,कैम्प की ओर से बस द्वारा पूरा दिन व्यतीत होना था ,सभी कैंपर्स तैयार हो कर नाश्ता कर अपने अपने टिफ़िन बॉक्स में लंच पैक कर के टेम्पो रिक्शा में बैठ कर जेट्टी पहुँचे,वहाँ हमारे लिए बोट तैयार खड़ी थी जिसमे सवार होकर हम ओख़ा पहुँचे ,बाहर ही बस भी तैयार थी सब उसमे बैठ गये।
पहला पड़ाव था नागेश्वर…..ये एक प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग है जो भारत के बारह ज्योतिर्लिंग में से एक है,लगभग डेढ़ घंटे बाद पहुँचे,भगवान शंकर की एक विशालकाय मूर्ति मंदिर के बाहर बनायी गई अत्यंत सुंदर दर्शनीय है,तत्पश्चात सभी ने लाइन में खड़े होकर दर्शन लाभ लिये,यहाँ की व्यवस्था सुचारू रूप से आयोजित है।
अगला पड़ाव था भारत के चार धाम में से एक…. द्वारका धाम,ये देश के पश्चिमी छोर पर स्थित है ,अन्य तीन उत्तर में बद्रीनाथ धाम,पूर्व में जगन्नाथ पूरी एवं दक्षिण में रामेश्वरम….
सौभाग्य से मेरे चारों धाम की यात्रा पूर्ण हो चुकी है और द्वारिका धाम में दूसरी बार आने का सौभाग्य प्राप्त
हुआ ।
पार्किंग में बस खड़ी कर के सारे लोग गोमती नदी के किनारे चलते हुए मुख्य मंदिर के द्वार तक पहुँचे,
मैं पूर्व में भी यहाँ आ चुका था परंतु इस बार इतनी अधिक अव्यवस्था दिखाई दी जैसा किसी भी दूसरे धाम में नहीं थी,भीड़ सभी जगह रहती है किंतु सुचारू रूप से दर्शन सभी जगह हो जाते थे,यहाँ तो ऐसा लग रहा था की हम भीड़ में धकेल दिये गये है और स्वयं प्रयास कर धक्का मुक्की कर दर्शन कर सके तो आपका भाग्य,ना कोई पुलिस ना कोई वालंटियर ना कोई मार्गदर्शन करने वाला! कोविड के इस भयानक दौर में एक दूसरे पर चढ़ती हुई भीड़,ना कोई मास्क पहने था और सोशल डिस्टेंसिंग का तो प्रश्न ही नही था,
दूर से जैसे तैसे दर्शन कर बाहर आ कर जैसे चैन की साँस ली सभी ने ,साथ ही व्यवस्था को कोसते हुए
वापस बस में बैठे।
अब सभी को भूख लगने लगी थी तो हमारे अगले पड़ाव शिवराजपुर बीच साइट पर भोजन करने का निश्चित था,द्वारिका से लगभग बीस किमी दूर यह बेहद सुंदर स्थान था और सरकार की तरफ़ से इसे बहुत अच्छे से विकसित किया गया था,यहाँ पेड़ों की छाँव तले बैठकर पहले सब ने पैक्ड लंच लिया,थोड़ा विश्राम किया और बीच पर चल पड़े,
उफ़्फ़… इतनी अधिक भीड़….लगता था सारा गुजरात वही आ गया है,तब याद आया आज क्रिसमस की
छुट्टी थी और सभी हर्षोल्लास के मूड में थे,हमने भीड़ से अलग हटकर दो बोट में सवार होकर लगभग तीन किमी दूर एक द्वीप पर पहुँचे जो की लो टाइड के परिणामस्वरूप उभर आया था.
ये आज का अंतिम पड़ाव था और शाम तक यही रहना था तो निश्चिंत होकर समुद्र का आनंद लेते रहे,यहाँ
सभी तरह के वॉटर स्पोर्ट्स की व्यवस्था थी और लोग उनका आनंद उठा रहे थे।
शाम तक बस बोट और रिक्शा की सवारी कर हम सब कैम्प पहुँच गये,
आज विद्युत प्रवाह पुनः शुरू हो गया था और चूँकि अंतिम रात्रि थी तो कैम्प फायर में सभी ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था।
पहला पड़ाव था नागेश्वर…..ये एक प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग है जो भारत के बारह ज्योतिर्लिंग में से एक है,लगभग डेढ़ घंटे बाद पहुँचे,भगवान शंकर की एक विशालकाय मूर्ति मंदिर के बाहर बनायी गई अत्यंत सुंदर दर्शनीय है,तत्पश्चात सभी ने लाइन में खड़े होकर दर्शन लाभ लिये,यहाँ की व्यवस्था सुचारू रूप से आयोजित है।
अगला पड़ाव था भारत के चार धाम में से एक…. द्वारका धाम,ये देश के पश्चिमी छोर पर स्थित है ,अन्य तीन उत्तर में बद्रीनाथ धाम,पूर्व में जगन्नाथ पूरी एवं दक्षिण में रामेश्वरम….
सौभाग्य से मेरे चारों धाम की यात्रा पूर्ण हो चुकी है और द्वारिका धाम में दूसरी बार आने का सौभाग्य प्राप्त
हुआ ।
पार्किंग में बस खड़ी कर के सारे लोग गोमती नदी के किनारे चलते हुए मुख्य मंदिर के द्वार तक पहुँचे,
मैं पूर्व में भी यहाँ आ चुका था परंतु इस बार इतनी अधिक अव्यवस्था दिखाई दी जैसा किसी भी दूसरे धाम में नहीं थी,भीड़ सभी जगह रहती है किंतु सुचारू रूप से दर्शन सभी जगह हो जाते थे,यहाँ तो ऐसा लग रहा था की हम भीड़ में धकेल दिये गये है और स्वयं प्रयास कर धक्का मुक्की कर दर्शन कर सके तो आपका भाग्य,ना कोई पुलिस ना कोई वालंटियर ना कोई मार्गदर्शन करने वाला! कोविड के इस भयानक दौर में एक दूसरे पर चढ़ती हुई भीड़,ना कोई मास्क पहने था और सोशल डिस्टेंसिंग का तो प्रश्न ही नही था,
दूर से जैसे तैसे दर्शन कर बाहर आ कर जैसे चैन की साँस ली सभी ने ,साथ ही व्यवस्था को कोसते हुए
वापस बस में बैठे।
अब सभी को भूख लगने लगी थी तो हमारे अगले पड़ाव शिवराजपुर बीच साइट पर भोजन करने का निश्चित था,द्वारिका से लगभग बीस किमी दूर यह बेहद सुंदर स्थान था और सरकार की तरफ़ से इसे बहुत अच्छे से विकसित किया गया था,यहाँ पेड़ों की छाँव तले बैठकर पहले सब ने पैक्ड लंच लिया,थोड़ा विश्राम किया और बीच पर चल पड़े,
उफ़्फ़… इतनी अधिक भीड़….लगता था सारा गुजरात वही आ गया है,तब याद आया आज क्रिसमस की
छुट्टी थी और सभी हर्षोल्लास के मूड में थे,हमने भीड़ से अलग हटकर दो बोट में सवार होकर लगभग तीन किमी दूर एक द्वीप पर पहुँचे जो की लो टाइड के परिणामस्वरूप उभर आया था.
ये आज का अंतिम पड़ाव था और शाम तक यही रहना था तो निश्चिंत होकर समुद्र का आनंद लेते रहे,यहाँ
सभी तरह के वॉटर स्पोर्ट्स की व्यवस्था थी और लोग उनका आनंद उठा रहे थे।
शाम तक बस बोट और रिक्शा की सवारी कर हम सब कैम्प पहुँच गये,
आज विद्युत प्रवाह पुनः शुरू हो गया था और चूँकि अंतिम रात्रि थी तो कैम्प फायर में सभी ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था।
26 दिसंबर 2022
नाश्ते के पश्चात आज दो घंटे की बोट सफारी का आयोजन था,सभी उल्लसित थे,हमे आश्वासन मिला था की डॉल्फिन बहुत अधिक संख्या में दिखाई जाएगी,
जेट्टी से बोट में सवार होकर निकले तो सभी उत्साह से परिपूर्ण गीत संगीत गाते नाचते कूदते मज़ा ले रहे थे और कुछ लोग डॉल्फिन ढूंड रहे थे…आधा घंटा बीता,एक घंटा बीत गया,समुद्र में काफ़ी अंदर तक पहुँच गए थे,हमारे अलावा और भी छह सात बोट डॉल्फिन की तलाश में जुटे हुए थे……किंतु अफ़सोस …..सारे प्रयास व्यर्थ हो गये थे,रोज़ पचासों दिखती है ऐसा बोट कप्तान ने बताया पर आज क्या हुआ ये वो भी नहीं बता पा रहा था,लगता था सारी डॉल्फिन भी क्रिसमस मना के थक गई होंगी और
अपने अपने घरों में आराम कर रही होंगी,उदास मन से सब लोग दो घंटे की समुद्री यात्रा कर के नाचते गाते
आनंदित हुए पर डॉल्फिन ने सभी को निराश किया था,
लौट कर लंच लिया उसके बाद सर्टिफिकेट वितरण का कार्यक्रम संपन्न हुआ,
सभी अपने अपने सामान बांध कर एक दूसरे से बिदा ले रहे थे….चार दिन सब एक साथ थे अब शायद ही
कभी कोई किसी से दोबारा मिल पाये ये भावना मन को उदास कर गई थी।ये हमेशा हर कैम्प की समाप्ति की कहानी है,हर जगह से कुछ नये मित्र मिलते है,एक दूसरे को निमंत्रित करते है किंतु फिर किसी से मिलना हो नहीं पाता।
सब अपने अपने घर जा रहे थे पर हमारी यात्रा आगे और भी होनी बाक़ी थी।
आगे की यात्रा अगले भाग में……
जेट्टी से बोट में सवार होकर निकले तो सभी उत्साह से परिपूर्ण गीत संगीत गाते नाचते कूदते मज़ा ले रहे थे और कुछ लोग डॉल्फिन ढूंड रहे थे…आधा घंटा बीता,एक घंटा बीत गया,समुद्र में काफ़ी अंदर तक पहुँच गए थे,हमारे अलावा और भी छह सात बोट डॉल्फिन की तलाश में जुटे हुए थे……किंतु अफ़सोस …..सारे प्रयास व्यर्थ हो गये थे,रोज़ पचासों दिखती है ऐसा बोट कप्तान ने बताया पर आज क्या हुआ ये वो भी नहीं बता पा रहा था,लगता था सारी डॉल्फिन भी क्रिसमस मना के थक गई होंगी और
अपने अपने घरों में आराम कर रही होंगी,उदास मन से सब लोग दो घंटे की समुद्री यात्रा कर के नाचते गाते
आनंदित हुए पर डॉल्फिन ने सभी को निराश किया था,
लौट कर लंच लिया उसके बाद सर्टिफिकेट वितरण का कार्यक्रम संपन्न हुआ,
सभी अपने अपने सामान बांध कर एक दूसरे से बिदा ले रहे थे….चार दिन सब एक साथ थे अब शायद ही
कभी कोई किसी से दोबारा मिल पाये ये भावना मन को उदास कर गई थी।ये हमेशा हर कैम्प की समाप्ति की कहानी है,हर जगह से कुछ नये मित्र मिलते है,एक दूसरे को निमंत्रित करते है किंतु फिर किसी से मिलना हो नहीं पाता।
सब अपने अपने घर जा रहे थे पर हमारी यात्रा आगे और भी होनी बाक़ी थी।
आगे की यात्रा अगले भाग में……
सभी साथियों को भविष्य की शुभकामनाएँ 🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼
धन्यवाद 🙏🏼🙏🏼
Super sir
ReplyDeleteSuperb
ReplyDeleteFirst, when you all came, there were 30 people and four different groups for us, but at the end of these four days, we didn't know why they all became like a family in one group and you felt that you belong to our village and you wrote such a beautiful blog., all our memories of this camp have been refreshed. Pray to dwarkadhish Wish you all the family good health and wish you come again.
ReplyDelete🙏🏻Jay dwarkadhish🙏🏻
👍🏻👍🏻👍🏻
ReplyDeleteThanks everyone for liking it,
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